Wednesday, April 27, 2011

इस हवा में फैली है बदलाव की बयार




किसी आंदोलन की शुरूवात यूं ही नही होती।किसी आंदोलन को होने के लिए समय व परिस्थियां होती है।कोई आदोंलन समय व परिस्थितयों के अनुरूप ही इतिहास बनता है।और इसी के साथ किसी आदोंलनों में शामिल भीड का अंदाजा केवल आंदोलनकारियों के साथ खडे लोगो को देखकर नही लगाया जा सकता।क्योंकि समय व परिस्थितयों के अनुरूप सिस्टम से लडाई के हथियार बदल जाते है।अगर इस माह के शुरूवात से अब तक के सभी घटनाक्रम पर नजर डाले तो स्थित बदलाव के बयार की हवा की सुगन्ध देती दिखाई देगी।मै केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम की बात करू तो ये आंदोलन तो अभी पढें लिखें लोगो तक है।षहरों तक है,लेकिन इस आग की लपटे जब गांवों तक पहुचेंगी तब?क्या गांवों के लोगो में कम रोष है सिस्टम को लेकर? नही साहब,अभी ये आदोंलन अभी नया रंग लेगा। जब इसमें गावों का भी जन शामिल होगा। इस आंदोलन का दूसरा चरण तो शुरू हो चुका है। जब अभी से नेताओं की बौखलाहट दिखाई देने लगी है।तब क्या होगा जब इस आंदोलन में गांव के ग्रामीण उतरगें?सच्चाई यही है कि भारत की जनता अब और भ्रष्टाचार सहने को तैयार नही है।क्योंकि इससे सबसे ज्यादा प्रभावित आम आदमी ही होता है।गांधीवादी विचारक समाजसेवी अन्ना जी की आंखो से भारतीए पढें लिखे समाज ने जो सपना देखा उसे पूरा करने के लिए उस सपने को भारत के हर गांव व हर शहर तक पहुचानें के लिए अन्ना ने अपने आंदोलन के दूसरें चरण की शुरूवात कर दी है। बाबा रामदेव ने भ्रस्टाचार मिटाने के लिए अलग तैयारी कर रखी है।
कुल मिलाकर लडाई की शुरूवाती स्थिति ने ही इस बात का फैसला कर दिया था कि लोग इस अभियान के साथ है,और ये अभियान अभी थमा नही है।अन्ना के अनसन तोडते ही तमाम लोगों ने अनशन पर जो अंटशंट शुरू किया।उसने भ्रष्टाचार के खिलाफ की हवा को और तेज किया। कल्माडी को पड रहें जूतों से भ्रष्ट नेताओं और भष्ट नौकरशाहों को सोचना चाहिए,कि उनका नंबर भी आएगा।बात अब जनता की अदालत में है।और आज के समय में जब किसी इतने बडे अहिंसात्मक आंदोलन की कल्पना नही कि जा सकती,अन्नाहजारें ने ना सिर्फ आंदोंलन को सफल बनाया बल्कि जनलोक पाल बिल को कानून बनानें के लिए अब भी अपने आंदोलन पर कायम है।और अब तो उनके साथ युवावर्ग पूरी तरह से उतर आया है।और देश के सभी विश्वविद्यालयों में अन्ना जी की आंदोलन की हवा बह रही है।और इस दौडती भागते समय में जो जिस माध्यम से फोन,इन्टरनेट,टीवी शुभकामनाओं, आदि जैसे भी उसको लग रहा है,वो अन्ना जी के इस मुहिम से जुड रहा है।चंद स्वार्थी लोगो के विरोध भी नजर आ रहें है।लेकिन उनकी आवाज कही नही सुनाई दे रही क्योंकि समय अन्ना के पक्ष में है।कुछ लोग इस मुहिम के विरोधी इसलिए है,क्योंकि नेताओं से ज्यादा भ्रष्ट तो हमारे नौकरशाह और मीडिया है।और उनका डर विरोध के रूप में प्रकट हो रहा है।लेकिन अब आम आदमी जनसरोकारों की बात कर रहा है।अपने अधिकार की बात कर रहा है,तो आप अंदाजा लगा ले आंदोलन कितना कुछ सफल है।

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