Sunday, February 27, 2011

क्यों नही बदला भारत का भाग्य

रवि शंकर मौर्य
अपने देश में गरीबी उन्मूलन की योजनाओं की कमीं नही है।उनके क्रियान्वयन के बाद हमे उनके बेहतर परिणाम ना मिलें।ऐसा भी नही है तो फिर क्यों नही बदल रहा भारत का भाग्य?क्यों नही मिट रही इस देश से गरीबी?इसका सीधा और स्पष्ट सा उत्तर है।नौकरशाही और भ्रष्टाचार इन दोनो बातों ने देश को खोखला कर दिया है। भारत की अन्तर्राष्ट्रीए मंच पर एक उभरती हुयी आर्थिक ताकत के रूप में प्रतिष्ठा है।लेकिन फिर भी आज हम अपने देश में कुछ एक अपवादों को छोड दे तो गरीबी में रह रहें लोगो को कुछ नही दे पाये है।अजादी के इतने वर्षो बाद भी गरीबों के हलात नही बदले। देश का कोई भी गरीब भूख से ना मरें ये जिम्मेदारीं सरकार की होती है।सभी की सुरक्षा का ध्यान रखतें हुऐ समाजिक आर्थिक समानता बनाने का प्रयास भी करना होता है।9 फीसदी के विकास दर वाला भारत आज भी भिक्षावृत्ति के मकडजाल में उलझा है। हमारें के सरकारी तंत्रों ने इनकों सिर्फ बढतें देखने के सिवाए कुछ और खास नही किया।और आज भिक्षावृत्ति एक धंधे की तरह है,जो वर्तमान समाजिक ढांचे से पोषित हो रहा है।वर्तमान सरकार ने गरीबी उन्मूलन के प्रभाव शाली नियन्त्रण के साथ ग्रामीण विकास की कल्पना की और हर साल गरीबी उन्मूलन के लिए आंवटन को बढाया गया। आप जरा सोच कर देखे या अपने पास के दो चार गांवों में जा कर ईमानदारी से देखें।क्या वाकई में इन ग्रामीण विकास की योजनाओं ने कार्य किया है?जमीनी हकीकत तुरंत ही साफ हो जाऐगी।मै गरीबों की बात क्यों कर रहा जब उनसे बत्तर स्थित में मध्य वर्ग है।गरीबों को तो केवल खाना चाहिए,जो वे भिक्षावृत्ति कर पा ही लेतें है। मध्य वर्ग की क्या स्थित है,समाज में ये स्पष्ट है। उन्हे रसोई गैस को लेने से लेकर अपनी सेलरी निकालने के लिए बैंकों आदि हर जगह लाइन लगाना पडता है। उन्हें 24 घंटें बिजली नही मिलती,शहरों में भी कमांेवेश यही हाल है। विद्युत विभाग के चीफ इंजीनिएर,एईएन,जेईएन आदि लोगों से समझना चाहें की ऐसा क्यों हो रहा है। क्या शहर के खर्च के बराबर बिजली आपको नही मिलती। तो उनका जबाब कमाल का होता है। तमाम तकनीकी बहानों से अपने पल्ले को झाड कर अपने को गौरवान्वित महसूस करते है,ये अधिकारी। और जब इनसे ये पूछा जाता है, कि सरकारी भवनों के इतना बिल क्यों बकाया है। तो बोलती बंद हो जाती है, क्यों कि सरकारी भवनों के बिजली बिल उन सरकारी विभागों की कृपा पर ही निर्भर करते है।खैर देश की स्थित इतनी सोचनीय है, कि उसका कोई अन्त नही। गरीबों को तो पता भी नही की उनके लिए गरीबी उन्मूलन के कौन कौन से कार्यक्रम चलाऐ जा रहें है।तो गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रमों के लाभ उन तक क्या पहुचेंगे। कई राज्य सरकारें इतनी कमाल की है कि वो गरीबी उनमूलन के लिए मिला धन वैसे का वैसे लौटा देतीं है।वे फंड को तथाकथित मद में खर्च करने की जेहमत भी नही उठाती।अब ऐसी अक्षम सरकारों से हम क्या सोचे गए लक्ष्यों को पा सकते है। सच तो ये है,ये सभी कुछ भूख कराती है।गरीबों ने भिक्षावृत्ति की भूख बढा कर देश को खोखला किया तो तथाकथित बडें लोगो ने पूंजी का केन्द्रीकरण कर और बडे बडे घोटालों की भूख में देश को खोखला किया। और देश में बढ रही महगाई से सर्घष करता जूझते मध्य वर्ग की बुरी स्थित। और अपनी जिम्मेदारी से इंकार करते लोग,सतही तौर पर यही कारण है,कि नही बदल रहा है भारत का भाग्य।
लेखक पत्रकारिता से जुडें है, ये 2006 में हिन्दी से परास्नातक व 2009 में पत्रकारिता से परास्नातक की पढाई पूरी कर पत्रकारिता के पेशे से जुडे।इन्होने दूरर्दशन व जी न्यूज से ट्रेनिंग के बाद खोज इंडिया न्यूज में बतौर प्रोडूसर काम किया।इसके पश्चात इन्होने राजस्थान के कोटा शहर में दैनिक नवज्योति व दैनिक भास्कर के लिए रिर्पोटर के तौर पर काम किया है। लेखक का मीडिया के तमाम विषयों पर लेखन रहा है। लेखक से ravism.mj@gmail.com मेल आई डी के जरिऐं सम्पर्क किया जा सकता है।Ravi Shankar Maurya
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